पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने बांग्लादेश के खिलाफ होने वाले भारतीय टीम के पहले डे-नाइट टेस्ट को क्रिकेट के लिए एक अच्छा कदम बताया। उनके मुताबिक फ्लड लाइट में मैच होने पर फैन्स एकबार फिर क्रिकेट के इस फॉर्मेट को देखने के लिए स्टेडियम तक आएंगे। हालांकि उनका कहना है कि ईडन गार्डन्स में होने वाला ये मैच तभी सफल होगा, जब वहां ओस का असर दिखाई न दे। उनके मुताबिक ओस की वजह से नमी बढ़ने पर तेज गेंदबाजों के साथ-साथ स्पिनर्स को भी समान रूप से परेशानी होती है।
तेंदुलकर ने कहा, 'ये एक अच्छा कदम है, लेकिन जब तक कि ओस परेशानी का कारण नहीं बनती। अगर ओस गिरने लगी तो फिर तेज गेंदबाजों के साथ-साथ स्पिनर्स के लिए वहां कई परेशानियां खड़ी हो जाएंगी। गेंद अगर एकबार गीली हो जाती है तो न तो फिर तेज गेंदबाज और न ही स्पिनर्स उससे ज्यादा कुछ कर सकते हैं। कुल मिलाकर वहां गेंदबाजों की परीक्षा होने वाली है, लेकिन अगर वहां ओस नहीं मिली, तो ये निश्चित रूप से ये बेहद अच्छा साबित होगा।'
डे-नाइट टेस्ट मैच के दो पहलू बताए
सचिन ने दर्शकों को स्टेडियम तक वापस लाने के लिए इस तरह के प्रयोग को एक अच्छा आइडिया भी बताया। उन्होंने कहा, 'इसे दो तरीकों से देखा जा सकता है, पहला नजरिया लोगों का है, जिसके मुताबिक घंटों काम करने के बाद भी लोग डे-नाइट टेस्ट मैच देखने के लिए स्टेडियम आ सकते हैं और इसका मजा उठा सकते हैं।' वहीं दूसरा नजरिया खिलाड़ियों का है जिसके अनुसार, 'गुलाबी गेंद से खेलना गलत नहीं है और ये देखना भी दिलचस्प होगा कि ये पारंपरिक लाल गेंद से कितना अलग व्यवहार करती है।'
बल्लेबाजों को गुलाबी गेंद से अभ्यास की सलाह दी
सचिन ने भारतीय बल्लेबाजों को नेट प्रैक्टिस के लिए एक सलाह भी दी। उन्होंने कहा, 'बल्लेबाजों को नेट्स पर अलग-अलग तरह की गुलाबी गेंदों के साथ अभ्यास करना चाहिए। नई गुलाबी गेंद, 20 ओवर पुरानी गुलाबी गेंद, 50 ओवर पुरानी गुलाबी गेंद और 80 ओवर पुरानी गुलाबी गेंद। इससे उन्हें तीनों का फर्क पता चलेगा। बिल्कुल नई, थोड़ी पुरानी और बहुत पुरानी गेंद किस तरह व्यवहार करती है और इसके बाद ही उन्हें अपनी रणनीति बनानी चाहिए।'
दलीप ट्रॉफी खिलाड़ियों से बात करना चाहिए
सचिन ने भारतीय टीम को पिछले तीन साल से दलीप ट्रॉफी खेल रहे सभी खिलाड़ियों से भी प्रतिक्रिया लेने की सलाह भी दी, क्योंकि इस दौरान ये टूर्नामेंट भी फ्लड लाइट में खेला गया था। उन्होंने कहा, 'भारतीय लड़कों को उन सभी खिलाड़ियों से भी प्रतिक्रिया लेना चाहिए जो दलीप ट्रॉफी खेल चुके हैं, उनके पास भी शेयर करने के लिए कुछ चीजें जरूर होंगी।'
स्पिनर्स को भी मिल सकती है मदद
तेंदुलकर को लगता है कि भले ही गुलाबी गेंद से सीमर्स को मदद मिलेगी, लेकिन इससे अच्छे स्पिनर भी प्रभावी साबित हो सकते हैं। उन्होंने कहा, 'निश्चित रूप से ये सीमर्स को ज्यादा मदद करेगी लेकिन अगर आप अच्छे स्पिनर्स को लाते हैं, तो वो उस पिच पर भी गेंदबाजी करने का अपना तरीका ढूंढ लेगा। एक स्पिनर के लिए इस बात का आकलन करना महत्वपूर्ण होगा कि वहां कितना उछाल है और गेंद कितनी ज्यादा फिसल रही है।'