नागरिकता कानून को रोकने का अधिकार राज्य सरकारों के पास नहीं, हर हाल में करना ही होगा लागू।


 नागरिकता कानून का संसद में विरोध करने के बाद अब कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वाम की राज्य सरकारें अपने अपने राज्यों में इसे लागू करने से भले ही मना कर रही हो, लेकिन यह केवल राजनीतिक बयान भर है। सच्चाई यह है कि ऐसा कोई भी राज्य जिसे कानून में ही इससे छूट नहीं है वह इस कानून को लागू होने से नहीं रोक सकता है।


नागरिकता देने का अधिकार पूरी तरह केंद्र सरकार के अधीन है। राज्य सरकारों पर किसी भी नागरिक को उसकी पूरी सुविधा देने का कर्तव्य है और चुनाव आयोग जरूरी दस्तावेजों के आधार पर तय करता है कि उसे मतदाता बनाया जाए या नहीं।


कई राज्यों ने लागू करने से किया है इन्कार


बुधवार को संसद में विधेयक पर जारी चर्चा के बीच ही पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से घोषणा की गई थी कि वह प्रदेश में इसे लागू नहीं होने देगी। उस वक्त संसद के अंदर ही गृहमंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया था कि यह सभी राज्यों में लागू होगा। गुरुवार को केरल और पंजाब सरकार की ओर से भी ऐसी ही घोषणा की गई। हालांकि उन्हें इसका अधिकार ही नहीं है, बल्कि संविधान उन्हें बाध्य करता है कि संसद के कानून का पालन करे।


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