नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 को समझें और खुद फेसला करें कि क्या इतनी नाकारात्मकता और दंगों की जरूरत थी !!!


 


1. क्या नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 मौजूदा भारतीय नागरिकों (हिंदू, मुस्लिम, किसी को भी) को प्रभावित करता है?


उत्तर:- नहीं, इसका भारतीय नागरिकों से कोई लेना-देना नहीं है। इसका उन शरणार्थियों से लेना-देना है जो केवल पाक, अफगानिस्तानऔर बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न से बचकर भारत आए हैं।


2. यह किसके लिए लागू होता है?


उत्तरः- उपरोक्त तीन देशों के केवल हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध और ईसाई - इस्लामिक गणराज्य - जो धार्मिक उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं और जो 1 दिसंबर 2014 से पहले ही भारत में हैं।


3. कौन से 3 देश?


उत्तर:- पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान।


4. इन 3 देशों से किस तरह से यह हिंदू, सिख, जैन और ईसाईयों को फायदा पहुंचाता है?


उत्तर:- भारत में स्थायी नागरिकता के लिए उनकी निवास आवश्यकता अब 11 से घटाकर 5 वर्ष कर दी गई है। इस प्रकार वे इस कानूनके तहत नागरिकता का दावा कर सकते हैं। दुर्भाग्य से उनकी प्रमुख समस्या यह थी कि एक बार जब ये शरणार्थी भारत पहुँच गए, तोउन्हें पूरे सिस्टम द्वारा आम नागरिकों सहित पाकियों या बांग्लादेशियों आदि पर नज़र रखना जारी रहेगा! उन्हें कई चुनौतियां झेलनीपड़ी और आधिकारिक तौर पर उन्हें कोई सरकारी समर्थन नहीं दिया जा सका।


5. क्या इसका मतलब है कि इन 3 देशों के मुसलमानों को भारतीय नागरिकता कभी नहीं मिल सकती है?


उत्तर:- नहीं, लेकिन वे मौजूदा प्राकृतिककरण नियमोंज .11 साल निवास आदि के माध्यम से नागरिकता प्राप्त करने की सामान्यप्रक्रिया से गुजरेंगे।


6. क्या इन 3 देशों के अवैध मुस्लिम आप्रवासियों को इस विधेयक के तहत स्वतः निर्वासित कर दिया जाएगा?


उत्तर:- उनके लिए मौजूदा सामान्य प्रक्रिया लागू होती है। प्राकृतिककरण के लिए उनका आवेदन उनकी पात्रता के आधार पर हो सकताहै या नहीं दिया जा सकता है।


7. क्या किसी अन्य देश में उत्पीड़न का सामना करने वाले हिंदू इस कानून के तहत आवेदन कर सकते हैं?


उत्तर:- नहीं। यह उपरोक्त तीन देशों तक सीमित है


8. क्या यह बिल उत्पीड़न के अन्य रूपों पर लागू होता है - राजनीतिक, नस्लीय, यौन आदि।


उत्तर:- यह बिल अपने उद्देश्य में बहुत विशिष्ट है - इन तीन देशों धार्मिक उत्पीड़न का सामना करने वाले हिंदुओं, जैन, सिख, हैं। ईसाईऔर बौद्धों को राहत प्रदान करने के लिए।


9. ये 3 देश ही क्यों? और केवल धार्मिक उत्पीड़न ही क्यों?


उत्तर:- इन 3 देशों - इस्लामिक रिपब्लिक - में धार्मिक अल्पसंख्यकों के व्यापक, व्यवस्थित और संस्थागत उत्पीड़न का ट्रैक रिकॉर्ड है।आजादी के समय, पाक की आबादी का लगभग 23% अल्पसंख्यक थे। आज यह उन से कम है! आंकड़े स्व व्याख्यात्मक


10. श्रीलंकाई तमिलों के बारे में क्या?


उत्तर:- (1) युद्ध को अब एक दशक से अधिक हो चुका है। (2) श्रीलंका में धार्मिक तर्ज पर कभी कोई उत्पीड़न नहीं हुआयह नस्लीय तर्ज पर था। और दशकों के गृहयुद्ध के दौरान श्रीलंका केलोगों ने तमिलों के संस्थागत भेदभाव को समाप्त कर दिया।


11. क्या शरणार्थियों की देखभाल के लिए हृ के तहत भारत का दायित्व नहीं है?


उत्तर:- हाँ यह करता है। और यह उससे दूर नहीं जा रहा हैलेकिन नागरिकता की पेशकश करना उसका कोई दायित्व नहीं हैप्रत्येकदेश के प्राकृतिककरण के अपने नियम हैं। भारत इस कानून के तहत अन्य शरणार्थियों को दूर नहीं करने जा रहा है। यह संयुक्त राष्ट्र केनियमों के तहत उनकी मेजबानी करेगा, इस निहितार्थ में कि किसी दिन वे स्थिति में सुधार होने पर अपने घर लौट आएंगे। लेकिन इन 3 देशों के हिंदुओं के मामले में, यह कानून इस वास्तविकता को स्वीकार करता है कि इन 3 देशों में उत्पीड़न का माहौल कभी नहीं सुधरनेवाला है।


12. पाकिस्तान में बलूचियों, अहिदाओं को इस दयालुता के लिए क्यों नहीं माना जाना चाहिए?


उत्तर:- वे सभी स्वयं घोषित इस्लामिक गणतंत्र के मुसलमान हैंहालांकि, अगर ये पीपीपी शरणार्थियों के रूप में आते हैं, तो उनकेमामले को प्रवास के मौजूदा कानूनों के तहत माना जाएगा और विशेष श्रेणी के तहत नहीं। ज्ञात हो कि 2017 से पाक मूल के कुल 546 मुसलमानों को भारतीय नागरिकता दी गई थी I


13. क्या कोई भारतीय मुस्लिम अपनी नागरिकता खो देता है या द्वितीय श्रेणी का नागरिक बन जाता है?


उत्तर:- नहीं ... बिल्कुल नहीं। वे भारत के मूल्यवान नागरिक बने रहें !!! भारत में हमारे पास विभिन्न वर्गों के नागरिकों की अवधारणा नहीं है I


14. फिर देश में इतनी हिंसा और ड्रामा करने का परिणाम आम नागरिकों को क्यों भुगतना पड़ता है?


उत्तर:- कोई भी राष्ट मूर्ख और मौकापरस्त नेताओं की कीमत चुकाता है जो केवल अपने नागरिकों को संकीर्ण राजनीतिक ब्राउनी पॉइंट केलिए विभाजित करना चाहते हैं !!! हम उसी से पीड़ित हैं I


 


- अंशुली सिंह की विशेष रिपोर्ट


 


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