Coronavirus से जान जाने का कितना डर है और देसी नुस्खों से इलाज का सच क्या है?
कोरोना वायरस ज़्यादातर मामलों में एक-दूसरे को छूने से फैलता है. कोरोना वायरस का पता लगने पर मरीज़ों को अलग रखा जाता है, छोटे-छोटे ग्रुप्स में. कोरोना आमतौर पर बच्चों को प्रभावित नहीं करता है. जिन लोगों की उम्र 58 से ज़्यादा होती है, कोरोना का असर ऐसे बुजुर्गों पर ज़्यादा होता है. गांव-देहात में कोरोना वायरस के फैलने की आशंका कम ही है. ये एक शहरी बीमारी है. हर खांसी, ज़ुकाम कोरोना वायरस नहीं हो सकता है. मौसम बदलने के साथ ही कोरोना पर क़ाबू पाया जा सकता है. कोरोना वायरस का कोई फ़ौरी इलाज नहीं है. अगर आपको कोरोना के लक्षण दिखते हैं तो फ़ौरन डॉक्टर को दिखाएं. चिकन खाने से कोरोना वायरस होने जैसी बातें सच नहीं हैं.
भारत में जैसे खाना पकाया जाता है, उससे किसी वायरस के बचने की संभावना कम ही है. चिकन या अंडा खाने से कोई दिक़्क़त नहीं है. गर्मी आने पर कोरोना वायरस कम हो जाएगा. जैसे ही तापमान बढ़ेगा कोरोना वायरस का असर कम हो जाएगा. सरकार ने जहां कोरोना सेंटर बनाए हैं, वहां लक्षण महसूस होने पर दिखाइए. इंडिया में इतने धार्मिक मेले होते हैं, लोगों की भीड़ जुटती है. लेकिन कभी कोई वायरस नहीं फैलता है. अगर कोरोना से बचाव की बात करें तो थ्री-लेयर्ड मास्क होते हैं. दूसरा मास्क N-51 होता है. आम लोग साधारण सर्जिकल मास्क भी पहन लें तो ठीक रहेगा.
(Courtesy: BBC)